प्रश्न- ब्रह्म और ब्रह्मा जी में क्या अंतर है?
उत्तर- ब्रह्म आत्मा का अव्यक्त स्वरुप है. यही परमात्मतत्त्व है. ब्रह्माजी ब्रह्म की रजोगुणी शक्ति हैं जिससे सृष्टि का जन्म होता है.
प्रश्न- कुछ कहते हैं विष्णु ही पर ब्रह्म हैं, कुछ कहते हैं शिव पर ब्रह्म हैं और कोई आदि शक्ति जिसे दुर्गा या अन्य नामों से कहा गया है वह पर ब्रह्म है. यह सब क्या है?
उत्तर- यह सब लोगों के मन का झगड़ा है. शैव शिव को पर ब्रह्म कहते हैं, शाक्त आदि शक्ति को पर ब्रह्म कहते हैं, वैष्णव श्री हरि विष्णु को को पर ब्रह्म कहते हैं, जैन अरिहंत कहते हैं, सिक्ख वाहे गुरु कहते हैं ज्ञानी आत्मा कहता है, ब्रह्म कहता है, बोध कहता है, ॐ कहता है.यथार्थ एक ही है वह सत है, ऋत है और वह ज्ञान की पूर्ण शुद्ध अवस्था है और वह तेरी आत्मा है.
प्रश्न- श्री राम और कृष्ण क्या हैं.
उत्तर- यह अवतारी पुरुष हैं. इनमें जन्म से शुद्ध पूर्ण बोध था इसी कारण जन्म से सम्पूर्ण दिव्यताओं से युक्त थे. यह आत्मा की अभिव्यक्ति की पूर्णावस्था है.
प्रश्न- पुराणों की कथा क्या है?
उत्तर- - पुराणों की कथा प्रतीकात्मक है. यह शुभ और अशुभ के साथ शुभ अशुभ से परे तत्त्व को समझाती है. शुभ और अशुभ सृष्टि के लिए आवश्यक हैं और यह सदा रहेंगे.अशुभ शुभ को दबाता है और शुभ अशुभ को. सृष्टि में यह संघर्ष सदा चलते आया है और चलते रहेगा. कार्बन साइकिल की तरह यह सतत प्रक्रिया है. कथा के माध्यम से पुराणों में अथवा अन्यत्र इसी बात को तरह तरह से समझाया है.
प्रश्न- आप आत्म ज्ञान के लिए सबसे सरल और उत्तम ग्रन्थ किसे मानते हैं.
उत्तर - भगवद्गीता.
इस विषय में गीता प्रेस गोरखपुर की भगवद्गीता जिसमें शब्द और अर्थ हो केवल उसका अध्ययन करें. टीका और भाष्य के अध्ययन से आपकी सोच प्रभावित होगी.शब्द और अर्थ के माध्यम से अपना चिंतन विकसित करें.
परन्तु यदि वास्तव में भगवद्गीता को उचित रूप में समझना है तो बसंतेश्वरी भगवद्गीता, आत्मगीता अथवा ज्ञानेश्वरी भगवद्गीता को देखें. तीनों इन्टरनेट में उपलब्ध हैं. ज्ञानेश्वरी में विस्तार है.
प्रश्न- वैराग्य के लिए किस ग्रन्थ का अध्ययन करें.
उत्तर- अष्टावक्र गीता.
प्रश्न- तत्त्व ज्ञान की कोइ अन्य पुस्तक?
उत्तर -विवेकचूडामणि -आदि शकराचार्य
प्रश्न- कोइ अन्य सरल सदग्रंथ?
उत्तर- केवल नानक देव जी की वाणी. ओशो की लिखी एक ओंकार सतनाम पुस्तक नानक देव जी की वाणी का अति सुन्दर प्रस्तुतीकरण है.
आप इससे कदापि यह न लगा लें की अन्य ग्रंथों को नहीं पढ़ना है. महात्मा कबीर की कुछ वाणी अति सरल है तो वह कहीं अति जटिल हो जाती है. निर्णय स्वयं आपने लेना है. उपरोक्त उत्तर के रूप में बताये हुए ग्रन्थ बहुत संक्षेप में सब कह देते हैं.
प्रश्न- सबसे सुन्दर बात.
उत्तर- एक ओंकार सत नाम. वह तू है वह मैं हूँ.
तू नित्य है शुद्ध है मुक्त है.
(यह भगवद्गीता, विवेक चूड़ामणि, ग्रन्थसाहब, महावीर वाणी और सभी सद्ग्रंथों का सार है.)
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