प्रश्न- कुछ ऐसे लक्षण बताएं जिससे पता चल जाए कि जिस पुरुष को आत्म ज्ञान हो गया है वह कैसा होता है?
उत्तर- आत्मज्ञानी पुरुष न मरे हुए जैसा न जीवित जैसा होता है.
वह अपने शरीर की चिंता नहीं करता है. उसे चिंता नहीं होती देह रह जाय या नष्ट हो जाय.
वह अपने संबंधों की भी चिंता नहीं करता है.
यथा प्राप्त जीविका से संतुष्ट होता है.
तुम्हारे देन लेन से कोई मतलब नहीं रखता अर्थात न संतुष्ट होता है न असंतुष्ट होता है.
ज्यादातर वह अकेला, बिना कारण के स्वछन्द घूमने वाला होता है. कभी कभी वह अजगर की तरह एक जगह बैठा रहता है. राजा के भेष में वह फकीर होता है.
सदा उदासीन है. व्यवहार में बच्चे के सामान होता है.
वह बहुत कम बोलने वाला होता है.
प्रत्येक प्रश्न का सत्य और यथार्थ उत्तर उसके पास होता है.
उसके लिए भिखारी और राजा एक समान हैं. चोर और पुलिस समान हैं. वह आज राजा कल भिखारी हो जाय तो भी संतुष्ट रहता है.
उसे संसार के मान अपमान की कोई इच्छा अथवा भय नहीं होता.
वह कपट रहित, सरल और मनमोजी आचरण करता है.
वह न सुखी होता है न दुखी होता है.
उसकी कोई निंदा करे तो क्रुद्ध नहीं होता और प्रशंसा करे तो प्रसन्न नहीं होता.
न उसे गर्मी लगती है न सर्दी लगती है.
वह न लाभ की चिंता करता है न हानि की चिंता करता है.
वह सदा मस्ती में रहता है.
वह भय रहित होता है.
ऐसा पुरुष ही आत्मज्ञानी है. बोध प्राप्त व्यक्ति है. उक्त आचरणों में से नाप तोल कर लगभग 50% चिन्ह दिखाई देने पर ही ऐसे पुरुष का संग करना चाहिए.
No comments:
Post a Comment