प्रश्न- आत्म ज्ञान कैसे पाया जा सकता है?
आत्म ज्ञान सतत साधना का अंतिम परिणाम है. यह विकास की अनन्तिम अवस्था है. बुद्धि को सतत निश्चयात्मक करते हुए सूक्ष्म और सूक्षम्तर करना है. इसके लिए अपनी अपनी प्रकृति के अनुसार साधना अपनाई जा सकती हैं. एक साधना जो किसी के लिए सरल और रुचिकर है वह दूसरे के लिए कठिन और अरुचिकर हो सकती है.
प्रश्न- फिर भी कोई सरल उपाय बतायें.
१-श्वास में ॐ का जप करना सरल और लाभ प्रद है. श्वास लेते और श्वास छोड़ते हुए ॐ का जप करें.
२- साक्षी होने का प्रयास करें. जो हो रहा है जो कर रहें हैं उसे देखने का प्रयास करें.
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