Thursday, August 15, 2013

तेरी गीता मेरी गीता – पाप पुण्य - 99 - बसंत

प्रश्न- संसार में कई लोग पाप करते हैं परन्तु मजे करते दिखाई देते हैं और कई भले लोग अच्छाई करते हुए भी परेशान होते हैं, कष्ट पाते हैं ऐसा क्यों होता है?
उत्तर- यह संसार है, यहाँ कोई सुखी है तो कोई दुखी, कोई आज सुखी है तो भविष्य में दुखी इसी प्रकार कोई आज दुखी है तो कल सुखी दिखाई देता है. इस प्रकार भिन्न भिन्न सुख दुःख स्थितियों से गुजरते प्राणी हम सदा देखते आये हैं. प्रश्न यह है कि ऐसा क्यों होता है? इस संसार में जो भी देने वाला है वह हमारा कर्म है. हमने जो पहिले किया है जो आज कर रहे हैं सब उसका ही परिणाम है. जन्म जन्मान्तरों में जो कर्म किये हैं उसके कारण मुख्य रूप से छः प्रकार के मनुष्य दिखाई देते हैं.
१   1-     घोर पापी- पूर्व जन्मों के पाप किये हुए केवल पाप भोगते हैं – यह जन्म से ही बीमार, असाध्य रोगों से पीड़ित, अंग भंग हुए क्षीण आयु होते हैं.
2  2-  पापी- पूर्व जन्मों के पाप किये हुए केवल पाप करते हैं और पाप भोगते हैं.
3  3-   पुण्य क्षयी - पूर्व जन्मों के पाप पुण्य को लिए हुए पाप करते हैं पुण्य भोगते हैं. इस प्रकार पुण्य क्षय करते हैं. वर्तमान युग में इस प्रकार के मनुष्यों का बोलबाला अधिक है.
4      4- पाप पुण्य रता- पूर्व जन्मों के पाप पुण्य को लिए हुए पाप, पुण्य करते हैं और पाप पुण्य भोगते हैं. समाज में यह भी अधिक संख्या में होते हैं.
   5- पाप क्षयी पुण्यात्मा - पूर्व जन्मों के पाप पुण्य को लिए हुए पुण्य करते हैं पाप भोगते हैं. यह अपने आदर्शों से समझोता न करने वाले, इमानदार, समाज की भलाई के लिए प्रताड़ित होते हैं. इन पर आरोप भी लगते हैं परन्तु यह विकास की उच्च अवस्था के लोग हैं.
   6-  पुण्यात्मा- पूर्व जन्मों के पुण्य को लिए हुए पुण्य करते हैं और पुण्य भोगते हैं. श्रेष्ट महापुरुष इस श्रेणी में आते हैं. संसार में इस प्रकार का जन्म दुर्लभ है.
इन छ प्रकार के मनुष्यों के अलावा सौ दो सौ करोड़ों में कभी कोई निष्काम कर्म योगी भी मिलता है जो पुण्यात्मा पुरुष की अगली अवस्था है. कभी कभी जन्म से ही नित्य सिद्ध निष्काम कर्म योगी अवतारी पुरुष भी मिलते हैं.

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