प्रश्न -योग क्या है?
उत्तर- चित्त वृत्तियों का निरोध योग है.
प्रश्न- क्या योग पूजा अथवा उपासना पद्धित है?.
उत्तर- हाँ. योग स्वरुप स्थिति (ईश्वर) की प्राप्ति के लिए किया जाता है. इसलिए योग की समस्त क्रियाएँ पूजा और उपासना पद्धित हैं. योगचित्तवृत्तिनिरोध .२. तदा दृष्टु स्वरूपे अवस्थानम् .(पातंजलि योग समाधिपाद)
नोट- यदि आप शरीर के लिए करते हैं तो यह कोई पूजा पद्धित नहीं है.
प्रश्न- योगासन क्या हैं?
उत्तर - योगासन चित्त की वृत्तियों को रोकने के लिए की जाने वाली साधना है.
योगासन शरीर के लिए नहीं है. यद्यपि योगासन करने से शरीर को भी फ़ायदा होता है. ध्यान रहे योगासन पीटी अथवा फिटनेस एक्सरसाइज नहीं है.
प्रश्न- योगासन से साधना में किस प्रकार लाभ होता है?
प्रश्न- योगासन मूलाधार से लेकर अनाहत चक्र तक भिन्न भिन्न ग्लैंड्स को नियमित करते हैं जिससे संकल्प विकल्प कम होने लगते हैं. मन का भागना कम होता जाता है.
प्रश्न- क्या योगासन करने का कोई ख़ास ढंग है?
उत्तर- हाँ. योगासन में दो बातों का ध्यान रखना आवश्यक है. १- श्वास २- किन आसनों से प्रारम्भ करना चाहिए.
प्रश्न-किन आसनों से प्रारम्भ करना चाहिए?
उत्तर - जो मूलाधार, स्वाधिष्ठान और मणिपुर चक्रों में दबाव डाले. सरल शब्दों में सीने से लेकर जननेद्रियों पर दबाब डालने वाले आसन. इन आसनो के सिद्ध होने पर विशुद्ध चक्र पर दबाव डालने वाले आसन करने चाहिए. सरल शब्दों में गले में दबाब डालने वाले आसन.
प्रश्न- प्रमुख आसन कौन कौन हैं?
उत्तर- पश्चिमोपादातोसन, पाद उत्थान, भुजंगासन, धनुरासन और अर्ध मस्तेस्न्द्रियासन.
इनके सिद्ध होने पर मयूरासन
मयूरासन सिद्ध होने पर ही सर्वांगासन एवं हलासन किया जाता है.
सर्वांगासन एवं हलासन सिद्ध होने पर ही शीर्षासन का विधान है. शीर्षासन से सहस्त्रार और आज्ञाचक्र क्रियाशील होते हैं.
सिद्ध योगी ही इन सभी आसनों को तरीके से करा सकता है. विधान रहित होने पर यह योगासन मात्र शारीरिक क्रिया हैं.
प्रश्न- क्या योगासन अथवा आसान शरीर के लिए करने चाहिए?
उत्तर- अवश्य करने चाहिए. आजकल लोग यही कर रहे है. परन्तु सही मार्ग दर्शक से ही सीखिये.
उत्तर- चित्त वृत्तियों का निरोध योग है.
प्रश्न- क्या योग पूजा अथवा उपासना पद्धित है?.
उत्तर- हाँ. योग स्वरुप स्थिति (ईश्वर) की प्राप्ति के लिए किया जाता है. इसलिए योग की समस्त क्रियाएँ पूजा और उपासना पद्धित हैं. योगचित्तवृत्तिनिरोध .२. तदा दृष्टु स्वरूपे अवस्थानम् .(पातंजलि योग समाधिपाद)
नोट- यदि आप शरीर के लिए करते हैं तो यह कोई पूजा पद्धित नहीं है.
प्रश्न- योगासन क्या हैं?
उत्तर - योगासन चित्त की वृत्तियों को रोकने के लिए की जाने वाली साधना है.
योगासन शरीर के लिए नहीं है. यद्यपि योगासन करने से शरीर को भी फ़ायदा होता है. ध्यान रहे योगासन पीटी अथवा फिटनेस एक्सरसाइज नहीं है.
प्रश्न- योगासन से साधना में किस प्रकार लाभ होता है?
प्रश्न- योगासन मूलाधार से लेकर अनाहत चक्र तक भिन्न भिन्न ग्लैंड्स को नियमित करते हैं जिससे संकल्प विकल्प कम होने लगते हैं. मन का भागना कम होता जाता है.
प्रश्न- क्या योगासन करने का कोई ख़ास ढंग है?
उत्तर- हाँ. योगासन में दो बातों का ध्यान रखना आवश्यक है. १- श्वास २- किन आसनों से प्रारम्भ करना चाहिए.
प्रश्न-किन आसनों से प्रारम्भ करना चाहिए?
उत्तर - जो मूलाधार, स्वाधिष्ठान और मणिपुर चक्रों में दबाव डाले. सरल शब्दों में सीने से लेकर जननेद्रियों पर दबाब डालने वाले आसन. इन आसनो के सिद्ध होने पर विशुद्ध चक्र पर दबाव डालने वाले आसन करने चाहिए. सरल शब्दों में गले में दबाब डालने वाले आसन.
प्रश्न- प्रमुख आसन कौन कौन हैं?
उत्तर- पश्चिमोपादातोसन, पाद उत्थान, भुजंगासन, धनुरासन और अर्ध मस्तेस्न्द्रियासन.
इनके सिद्ध होने पर मयूरासन
मयूरासन सिद्ध होने पर ही सर्वांगासन एवं हलासन किया जाता है.
सर्वांगासन एवं हलासन सिद्ध होने पर ही शीर्षासन का विधान है. शीर्षासन से सहस्त्रार और आज्ञाचक्र क्रियाशील होते हैं.
सिद्ध योगी ही इन सभी आसनों को तरीके से करा सकता है. विधान रहित होने पर यह योगासन मात्र शारीरिक क्रिया हैं.
प्रश्न- क्या योगासन अथवा आसान शरीर के लिए करने चाहिए?
उत्तर- अवश्य करने चाहिए. आजकल लोग यही कर रहे है. परन्तु सही मार्ग दर्शक से ही सीखिये.
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