साधना
1.आवृत्ति
अध्ययन की हुई उपासना का निरन्तर अभ्यास करना चाहिए.
2.लिंगाच्च
सूक्ष्म शरीर से साधना करनी चाहिए.
सूक्ष्म शरीर 17 तत्त्वों से बना है. शतपथ ब्राह्मण-5-2-2-3 में इन्हें
सप्तदशः प्रजापतिः कहा है. मन बुद्धि पांच ज्ञानेन्द्रियाँ पांच कर्मेन्द्रियाँ
पांच वायु. इस लिंग शरीर से आत्मा की सत्ता का प्रमाण मिलता है. वह भासित होती है.
अतः मन बुद्धि प्राण और कर्मेन्द्रियों से साधना करनी चाहिए.
3. आसीनः
बैठकर साधना करनी चाहिए.
4.ध्यानाच्च
ध्यान करना चाहिये.
5.अचलत्वम्
शरीर को स्थिर रखना चाहिये.
6.स्मरन्ति च.
स्मरण करना चाहिए.
7.आ प्रायणात
मृत्यु होने तक साधना करनी चाहिए.
8.आत्मेति ग्राहयन्ति
केवल आत्मा को ही ग्रहण करे.
9.प्रतीक
प्रतीक को ब्रह्म अथवा आत्मा मानकर उपासना करनी चाहिए.
प्रतीक में ब्रह्म दृष्टि होनी चाहिए.
10.आदिदिमतयः
आदित्य अर्थात ज्ञान की बुद्धि करनी चाहिए.
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