प्रश्न- मैं
की खोज क्यों जरूरी है?
उत्तर- मैं हूँ इसलिए स्वास अंदर जा रही है, बाहर आ रही है.
मैं हूँ इसलिए हृदय धक धक कर रहा है.
मैं हूँ इसलिए बुद्धि काम कर रही है.
मैं हूँ इसलिए आँख देख पा रही हैं, कान सुन पा रहे हैं, सुख
दुःख शरीर और बुद्धि को अनुभव हो रहे हैं.
मैं हूँ इसलिए शरीर के अंग काम कर रहे हैं.
मैं हूँ इसलिए मैं ओर मेरा का भाव पैदा हो रहा है.
मैं हूँ इसलिए अनेकानेक विचार उत्पन्न हो रहे हैं.
मैं हूँ इसलिए मैं पिता हूँ.
मैं हूँ इसलिए मैं माता हूँ.
मैं हूँ इसलिए मैं पुत्र हूँ.
मैं हूँ इसलिए मैं पुत्री हूँ.
मैं हूँ इसलिए मैं पति हूँ.
मैं हूँ इसलिए मैं पत्नी हूँ.
मैं हूँ इसलिए संसार है.
मैं हूँ इसलिए सूर्य है.
मैं हूँ इसलिए ब्रह्माण्ड है.
मैं हूँ इसलिए मेरे द्वारा प्रति क्षण हजारों क्रियाएँ हो रही
हैं.
यह मैं क्या है, कोन है?
विचार करते रहिये, लग जाइए खोज में. उत्तर स्वयं मिलेगा.
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