प्रश्न -कृपया उदाहरण के साथ अपने निमालिखित कथन को स्पष्ट करें.
आस्मिता अथवा जीवात्मा जिस जिस पदार्थ का जो भाव है उसमें स्थित होकर उसी आकार का भासित होता है.
जीवात्मा जब जिस का संकल्प करता है वैसा आकार धारण कर लेता है.
यह पञ्च भूत नहीं है पर पंचभूतात्मक भासित होता है.
यह न स्थूल है न सूक्ष्म है अज्ञान अथवा भ्रम से जहाँ जिस कल्पना का विस्तार होता है वहां वैसा तत्काल अनुभव होने लगता है.
उत्तर- एक प्रो मीनाक्षी नाम की स्त्री है. वह एक जगह बेटी है, दूसरी जगह बहन, तीसरी जगह माँ, चौथी जगह प्रोफेसर, पांचवी जगह मित्र, छठी जगह शत्रु, सातवीं जगह उदासीन, आठवीं जगह पत्नी आदि. एक शरीर में अनेक भाव रूप, तदनुसार कार्य और व्यवहार जिसके कारण हो रहा है वह जीवात्मा है. जीवात्मा को भ्रम हो गया है कि वह मीनाक्षी है. वह मीनाक्षीमय हो गया है. जीवात्मा के अज्ञान के कारण प्रो मीनाक्षी का भ्रम होने से उसके भाव और विचार के अनुसार शरीर और इन्द्रियाँ,भिन्न भिन्न भूमिका कर रहे है. मीनाक्षी हुआ जीवात्मा जन्म से लेकर अब तक यह क्षण क्षण में भिन्न भिन्न आकार ले रहा है. इसके कार्य को देखकर ऐसा लगता है की जो कुछ कर रहा है हमारा पंचभूतात्मक शरीर कर रहा है. पर क्या पंचभूतात्मक मृत देह ऐसा कर पाती है?
अब इसे और बड़े रूप में देखते हैं, यह जो मीनाक्षी की देह में है वह कहीं अन्य देह में कोई विशेष नाम का नर है कहीं नारी है, कहीं गाय है, कहीं मच्छर है, कहीं तितली बन कर उड़ रहा है, कहीं पेड़ बन कर खड़ा है. भ्रम वश उसे भिन्न भिन्न अस्मिता की प्रतीति हो रही है. वह अपना वास्तविक स्वरुप भूल गया है. यह जैसा जैसा संकल्प करता है, भ्रम से जैसी कल्पना का विस्तार होता है वहां वैसा अनुभव होने लगता है. मच्छर के रूप में यह अपने को मच्छर समझता है तो गाय की देह में गाय. इसी प्रकार माता ,पिता, पुत्र ,पुत्री ,पति, पत्नी बन जाता है
अतः आप को स्पष्ट हो गया होगा कि यह न स्थूल है न सूक्ष्म है अज्ञान अथवा भ्रम से जहाँ जिस कल्पना का विस्तार होता है वहां वैसा तत्काल अनुभव होने लगता है.
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