कितने देवता हैं?
बृहदारण्यकोपनिषद के नवें ब्राह्मण के तीसरे अध्याय में एक रोचक वैज्ञानिक वार्ता प्रसंग है.
ऋषि याज्ञवल्क्य से शाकल्य ने पूछा
कितने देवता हैं?
याज्ञवल्क्य -33
08वसु+11रूद्र+12आदित्य +इन्द्र +प्रजापति
08वसु-अग्नि-heat, पृथ्वी-earth(planet), वायु-air, अंतरिक्ष-space, आदित्य-sun, द्युलोक-light चन्द्रमा-satelite, नक्षत्र-star
11रूद्र-10 इन्द्रियाँ + मन
12आदित्य- संवत्सर के 12 महीने- 12 different time period and conditions
इन्द्र –विद्युत -electromagnetic force
प्रजापति-कर्म ( यज्ञ)
ऋषि शाकल्य- ठीक. कितने देवता हैं?
याज्ञवल्क्य -6
ऋषि शाकल्य- ठीक. कितने देवता हैं?
याज्ञवल्क्य -3
ऋषि शाकल्य- ठीक. कितने देवता हैं?
ऋषि याज्ञवल्क्य -2
ऋषि शाकल्य- ठीक. कितने देवता हैं?
ऋषि याज्ञवल्क्य -1.5
ऋषि शाकल्य- ठीक. कितने देवता हैं?
ऋषि याज्ञवल्क्य -1- वह सबका प्राण ब्रह्म है. वही परम देव है.
ऋषि शाकल्य- ठीक.
प्रश्न उत्तर समाप्त
सबसे पहले 33 देवता क्यों कहा. पृथ्वी में किसी भी प्राणी का शरीर इन 33 देव तत्त्वों के संरचना है अथवा परोक्ष अपरोक्ष रूप से यह 33 देव सब प्राणियों को प्रभावित करते हैं. यह प्राणियों को स्थान देते हैं इसलिए देवता कहा गया है
अन्त में एक देव बताया जिसे सबका प्राण कहा है. वही ब्रह्म है. वही सबकी आत्मा है.
यह एक परम देव, 33 देवों में अपने को विस्तारित करता है और फिर जब इनसे मिलता है तो हजार, लाख, करोड़ देवी देवता की रचना होने लगती है. यही है कण कण में भगवान. सब ब्रह्म का विस्तार है पर ब्रह्म सर्वत्र होते हुए भी अत्यंत गुह्य रूप से छिपा रहता है. बाहरी दृष्टि से संसार है, भिन्नता है परन्तु सब तत्त्वों, प्राणियों के अंदर परमब्रह्म छिपा बैठा सबका नियंता है.
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अद्भुत व्याख्या
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