Saturday, November 12, 2011

वेदान्त /VEDANT-अध्याय -१४ - मूर्छा - UNCONSCIOUSNESS - COMA -Prof. Basant


          मूर्छा-UNCONSCIOUSNESS-COMA

मूर्छा को वेदान्त अर्ध सुप्तावस्था मानता है. इस विषय के सम्बन्ध में विचार अवश्य हुआ होगा परन्तु वह अनुपलब्ध है.
मूर्छा का कारण आघात, भय अथवा मादक एवम विषाक्त द्रव होता है. यह अचेतन स्तिथि छोटी अवधि अथवा दीर्घ अवधि के लिए हो सकती है. सामान्यतः छह घंटे से अधिक अवधि की मूर्छा को कोमा कहते हैं. मूर्छा में चेतना को धारण करने वाली शक्ति सीमित हो जाती है अथवा कुछ मात्र में विघटित हो जाती है जिससे चेतना का function बहुत  सीमित हो जाता है.
चेतना में भय अथवा तनाव का सम्मिश्रण होने से, मूर्छा में सुसुप्ति की तरह अज्ञान तो होता है परन्तु आनन्द नहीं होता है. भय और तनाव के कारण स्वप्न और सुसुप्ति की मिली जुली अवस्था है जिसमें मन पूरी तरह लोप नहीं हो पाता और स्वप्नवत वासनामय भी नहीं होता. इसलिए मूर्छा के बाद  जागा व्यक्ति भ्रम की स्थिति में होता है.
मूर्छा की अवस्था में प्राणी की चेतना को धारण करने वाली शक्ति धृति के कम होने से से प्राणी की चेतना सीमित हो जाती है या कहें चेतना के function सीमित हो जाने से मनुष्य मस्तिष्क के जाग्रत करने वाले तंत्र अथवा सन्देश प्राप्त करने वाले तंत्र को सन्देश नहीं पहुंचता.
अनेक विद्वान चेतना को जीवशक्ति या आत्मा समझ लेते हैं जबकि चेतना एक शरीर में उत्पन्न  होने वाली शक्ति है, भगवदगीता में इसे विकृति माना है यह आत्मा (विशुद्धज्ञान) की उपस्थति से प्रकृति द्वारा जन्म लेती है.
मूर्छा में सत् और रज नाम मात्र के रह जाते हैं इनका  शेष भाग dormant हो जाता  है. तमोगुण मस्तिष्क और शरीर में व्याप्त हो जाता है. धारण करने वाली शक्ति कमजोर पड़ जाती है. मस्तिष्क का function सीमित हो जाता है.

श्री भगवान भगवदगीता के तेरहवें अध्याय में बताते हैं-
स्थूल पिण्ड अरु चेतना, धृति सब हैं ये क्षेत्र
कहा सहित विकार के सूक्ष्म में यह क्षेत्र।। 6-१३।।

स्थूल देह का पिण्ड और चेतना (जो महसूस कराती है, आत्मा की इस शरीर में जो सत्ता है उसके परिणामस्वरूप देह की महसूस करने की शक्ति;  जैसे जहाँ अग्नि होती है वहाँ उसकी गर्मी, उसी प्रकार जहाँ आत्मा है वहाँ चैतन्य हैजैसे सूर्य और उसकी आभा है. इसी प्रकार आत्मा और आत्मा की सत्ता का प्रभाव यह देह चेतना हैयह सम्पूर्ण शरीर में बाल से लेकर नाखून तक जाग्रत रहती है)। धृति (पंच भूतों की आपस की मित्रता ही धैर्य है)। जैसे जल और मिट्टी का बैर है पर वह इस शरीर में मित्रवत सम्बन्ध बनाते हुए रहते हैं

आधुनिक विज्ञान बताता है मस्तिष्क में billions neurons होते हैं इनकी कार्य प्रणाली टेलीग्राफ सिस्टम की तरह होती है यह सन्देश का आदान प्रदान करते हैं. विवेचना करते हैं और सूचना जमा रखते हैं. विचार  और संवेदना का कारण हैंइनकी कार्य प्रणाली जो टेलीग्राफ सिस्टम की तरह होती है, मूर्छा में लगभग stand still हो जाती है.

सामान्य व्यक्ति को समझाने के लिए कहा जा सकता है मूर्छा में cerebrum का आँन ऑफ स्विच one way हो जाता है.



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