प्रश्न- मृत्यु क्या है?
उत्तर- जीव और जड़ प्रकृति का अलग हो जाना मृत्यु है.
प्रश्न- जीवन क्या है?
उत्तर- जीव और जड़ प्रकृति का संयोग जीवन है.
प्रश्न- बुद्धि क्या है?
उत्तर- आत्मा की निश्चयात्मक अवस्था अवस्था बुद्धि है. निश्चयात्मक ज्ञान बुद्धि है. यह वह ज्ञान है जो आत्मा और जीवात्मा के बीच रहता है. यह जड़ प्रकृति कही जाती है.
प्रश्न- अहंकार क्या है?
उत्तर- आत्मा की अस्मिता प्रतीति अहंकार है.
प्रश्न- मन क्या है?
आत्मा की चंचल अवस्था मन है. संशयात्मक ज्ञान मन है. यह वह ज्ञान है जो जीवात्मा और इन्द्रियों के बीच रहता है. यह जड़ प्रकृति कही जाती है.
प्रश्न- शरीर क्या है?
उत्तर- आत्मा की जड़ अवस्था शरीर है. यह प्रकृति विकृति का समूह कहा गयाहै.
प्रश्न- प्राण क्या है?
आत्मा में स्फुरण से कर्म को गति प्रदान करने वाली ऊर्जा जो जड़ चेतन के संयोग होने पर उत्पन्न होती है, प्राण है.
उत्तर- धृति क्या है?
आत्मा की जड़ शक्ति जिसके द्वारा जड़ प्रकृति के तत्त्व जुड़े होते हैं
प्रश्न- चेतना क्या है?
आत्मा के संयोग से प्राणयुक्त शरीर में उत्पन्न जड़ शक्ति जिसके द्वारा जड़ प्रकृति के तत्त्व सर्दी गर्मी, पीड़ा, स्वाद आदि संवेदना महसूस करते हैं.
प्रश्न- संघात क्या है.
आत्मा की जड़ शक्ति जिसके द्वारा जड़ प्रकृति देह के विस्तार को प्राप्त होती है. इसे स्थूल देह का पिंड भी कहते हैं.
प्रश्न- यथार्थ ज्ञान जिसे बोध कहा है क्या है?
जीव और जड़ प्रकृति का अलग होते हुए देखना . यह वह ज्ञान है जिसका वैज्ञानिक आधार हो अर्थात जो आपके द्वारा प्रयोग से सिद्ध किया गया हो.
कोइ भी ग्रन्थ, उपदेशक, गुरु का दिया ज्ञान आपके लिए मात्र विद्या है. उस विद्या को जब आप अपने में प्रयोग कर अनुभूत करते हैं तो वह आपका बोध हो जाता है.
प्रश्न- यदि हम अपने को पदार्थ मान लें. परमाणुओं का समूह मान लें तो क्या हानि है?
उत्तर- आप परमाणुओं का समूह तो हैं पर आपके पदार्थ के परमाणु विशुद्ध ज्ञान के परमाणुओं से निर्मित हैं. विशुद्ध ज्ञान मूल कारण है.आपके द्वारा मात्र पदार्थ को मूल कारण मान लेने से चेतन्य अथवा ज्ञान की नित्य स्थिति प्रमाणित नहीं होगी.
प्रश्न- आत्मा और जीवात्मा का भेद क्या है?
आत्मा जब जड़ प्रकृति को अपनाकर स्वीकार कर लेता है तो वह सीमित होकर जीवात्मा कहलाता है.