प्रश्न-
क्या ईश्वर अवतार लेते हैं ?
उत्तर-
अवतरण केवल ईश्वर का ही होता है. शेष जीव जन्म और पुनर्जन्म लेते हैं
प्रश्न
- अवतरण और पुनर्जन्म में क्या अंतर है?
उत्तर-
त्रिगुणात्मक प्रकृति को आधीन कर जो जन्म लेता है वह अवतरण है इसलिए अवतार कहा जाता है. ईश्वर का अवतरण होता है. जो त्रिगुणात्मक प्रकृति
के आधीन होकर जन्म लेते हैं वह जन्म और पुनर्जन्म है सामान्य मनुष्य या जीव का जन्म
अथवा पुनर्जन्म होता है.
प्रश्न - कई लोगों को पिछले जन्म की याद होती है क्या वह अवतरण नहीं है?
उत्तर- नहीं वह अवतरण नहीं है. अवतरण का अर्थ है अपनी इच्छा से अपनी प्रकृति को आधीन कर जन्म लेना. कुछ मनुष्यों के अवचेतन मन का कुछ भाग अधिक सक्रिय होता है इसलिए उनको अपने पिछले जन्म की कुछ या अधिक जानकारी याद रहती है.
प्रश्न - कई लोगों को पिछले जन्म की याद होती है क्या वह अवतरण नहीं है?
उत्तर- नहीं वह अवतरण नहीं है. अवतरण का अर्थ है अपनी इच्छा से अपनी प्रकृति को आधीन कर जन्म लेना. कुछ मनुष्यों के अवचेतन मन का कुछ भाग अधिक सक्रिय होता है इसलिए उनको अपने पिछले जन्म की कुछ या अधिक जानकारी याद रहती है.
प्रश्न- त्रिगुणात्मक प्रकृति को किस प्रकार आधीन
किया जा सकता है?
उत्तर-
अज्ञान को नष्ट कर त्रिगुणात्मक प्रकृति को आधीन किया जा सकता है. जो पूर्ण चैतन्य
हो गया हो, जिसकी बेहोशी नष्ट हो गयी हो. जो सदा होश में रहता हो. ऐसा बोध युक्त पुरुष
ईश्वर हो जाता है. वह अपनी इच्छा से देह त्याग करता है और अपनी इच्छा से जन्म लेता
है. उसके ऊपर
प्रकृति का प्रभाव नहीं पड़ता है.
प्रश्न-
क्या बोध ही ईशत्व का मार्ग है.
उत्तर-
हाँ बोध ही ईशत्व का मार्ग है. बोध के बाद ही सत्य को देखने वाली बुद्धि प्रकट
होती है.
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