प्रश्न - क्या मरने के बाद मोक्ष हो जाता है?
उत्तर- नहीं
प्रश्न - क्या श्राद्ध, तर्पण, पिंड दान से दिवंगत लोगों की मुक्ति हो जाती है .
उत्तर- नहीं.
प्रश्न -क्या मोक्ष की कोई अवधि होती है?
उत्तर- नहीं.
प्रश्न- क्या मोक्ष कोई लोक है जहाँ मुक्त व्यक्ति रहते हैं?
उत्तर- नहीं.
प्रश्न- क्या मोक्ष आत्मा का होता है?
उत्तर- नहीं.
प्रश्न- क्या मोक्ष शरीर का होता है?
उत्तर- नहीं.
प्रश्न- क्या मोक्ष में स्वर्ग से ज्यादा सुख होता है.
उत्तर- नहीं.
प्रश्न- क्या मोक्ष गया व्यक्ति वहां से हमको देख सकता है?
उत्तर- नहीं. मोक्ष कोई स्थान नहीं है.
प्रश्न- फिर मोक्ष क्या है?
उत्तर- मोक्ष जिसे मुक्ति, कैवल्य, निर्वाण भी कहते हैं के विषय में बड़ी भ्रांतिया पैदा हो गयी हैं. जिन्होंने मोक्ष पाया वहां भ्रान्ति नहीं है पर जिन्होंने कहा और लिखा वह ढंग से न समझ पाए न कह पाए. सरल बात को क्लिष्ट कर दिया.
मोक्ष का अर्थ है अज्ञान से मुक्ति. अविद्या का नाश. केवल ज्ञान (सत्य बोध).
प्रश्न- अविद्या का नाश कैसे होता है?
उत्तर- जब मनुष्य को अपने जन्म जन्मान्तरों की याद आजाती है और भविष्य स्पष्ट हो जाता है.
प्रश्न- मोक्ष में होता क्या है?
उत्तर- मेरा भाव समाप्त हो जाता है. मेरा शरीर, मेरा देश, मेरा धर्म, मेरा ज्ञान, मेरी विद्या, मेरी संपत्ति, मेरा पद, मेरी पत्नी, मेरा पुत्र, मेरे माता पिता आदि भाव नष्ट हो जाता है.दूसरे शब्दों में मोह नष्ट हो जाता है.
प्रश्न- मोक्ष किसे प्राप्त होता है
उत्तर- मोक्ष जीव का होता है. या कहें मोक्ष स्वभाव का होता है. मोक्ष में जीव स्वभाव नष्ट हो जाता है और उसकी जगह ईश्वरी स्वभाव आ जाता है.
प्रश्न- मोक्ष प्राप्त जीव का क्या जन्म मरण होता है?
उत्तर- हाँ और नहीं. मोक्ष प्राप्त व्यक्ति सामान्य लोगों को मरते और जन्म लेते दिखाई देते है. इसलिए हाँ.
मोक्ष प्राप्त व्यक्ति अपनी इच्छा से जन्म लेते है और अपनी इच्छा से देह छोड़ते हैं. इस कारण उनका न जन्म है न मृत्यु.
उत्तर- नहीं
प्रश्न - क्या श्राद्ध, तर्पण, पिंड दान से दिवंगत लोगों की मुक्ति हो जाती है .
उत्तर- नहीं.
प्रश्न -क्या मोक्ष की कोई अवधि होती है?
उत्तर- नहीं.
प्रश्न- क्या मोक्ष कोई लोक है जहाँ मुक्त व्यक्ति रहते हैं?
उत्तर- नहीं.
प्रश्न- क्या मोक्ष आत्मा का होता है?
उत्तर- नहीं.
प्रश्न- क्या मोक्ष शरीर का होता है?
उत्तर- नहीं.
प्रश्न- क्या मोक्ष में स्वर्ग से ज्यादा सुख होता है.
उत्तर- नहीं.
प्रश्न- क्या मोक्ष गया व्यक्ति वहां से हमको देख सकता है?
उत्तर- नहीं. मोक्ष कोई स्थान नहीं है.
प्रश्न- फिर मोक्ष क्या है?
उत्तर- मोक्ष जिसे मुक्ति, कैवल्य, निर्वाण भी कहते हैं के विषय में बड़ी भ्रांतिया पैदा हो गयी हैं. जिन्होंने मोक्ष पाया वहां भ्रान्ति नहीं है पर जिन्होंने कहा और लिखा वह ढंग से न समझ पाए न कह पाए. सरल बात को क्लिष्ट कर दिया.
मोक्ष का अर्थ है अज्ञान से मुक्ति. अविद्या का नाश. केवल ज्ञान (सत्य बोध).
प्रश्न- अविद्या का नाश कैसे होता है?
उत्तर- जब मनुष्य को अपने जन्म जन्मान्तरों की याद आजाती है और भविष्य स्पष्ट हो जाता है.
प्रश्न- मोक्ष में होता क्या है?
उत्तर- मेरा भाव समाप्त हो जाता है. मेरा शरीर, मेरा देश, मेरा धर्म, मेरा ज्ञान, मेरी विद्या, मेरी संपत्ति, मेरा पद, मेरी पत्नी, मेरा पुत्र, मेरे माता पिता आदि भाव नष्ट हो जाता है.दूसरे शब्दों में मोह नष्ट हो जाता है.
प्रश्न- मोक्ष किसे प्राप्त होता है
उत्तर- मोक्ष जीव का होता है. या कहें मोक्ष स्वभाव का होता है. मोक्ष में जीव स्वभाव नष्ट हो जाता है और उसकी जगह ईश्वरी स्वभाव आ जाता है.
प्रश्न- मोक्ष प्राप्त जीव का क्या जन्म मरण होता है?
उत्तर- हाँ और नहीं. मोक्ष प्राप्त व्यक्ति सामान्य लोगों को मरते और जन्म लेते दिखाई देते है. इसलिए हाँ.
मोक्ष प्राप्त व्यक्ति अपनी इच्छा से जन्म लेते है और अपनी इच्छा से देह छोड़ते हैं. इस कारण उनका न जन्म है न मृत्यु.
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