आज मैं आपको एक कहानी सुनाता हूं. आप सभी ने राजा जनक का नाम सुन होगा. एक बार उनके राज्यके ऊपर दुश्मन ने आक्रमण कर दिया है. उनकी सेना हार गई है और वह मारे जा रहे हैं. वह युद्ध भूमि से भाग खड़े होते हैं और अपने जीवन के लिए जंगल की ओर भाग जाते हैं.जहां उनको कई दिनों तक भोजन प्राप्त नहीं होता है. इस प्रकार कुछ दिन बीतने पर वह भूख से व्याकुल हो जाते हैं और भोजन की तलाश में घूमते देखते हैं एक जगह जहाँ भोज का आयोजन हो रहा था वह भी अपनी भूख शांत करने के लिए वहां जाते हैं. परंतु उनके पहुंचने तक भोज समाप्त हो चुका होता है फिर भी वहां का ग्रह स्वामी कहता है रुको और जैसे तैसे बचा खुचा एक पत्तल में उनको भोजन देता है जिसको लेकर वह एक ओर आ जाते हैं और जैसी ही वह भोजन की ओर हाथ बढ़ाते हैं तो एक चील ऊपर से उनके भोजन के पत्ते पर चोंच मारती है और उनका भोजन जमीन में गिर जाता है. वह चित्कार उठते हैं. हा! बड़ी मुश्किल से भोजन मिला था प्राण संकट में है अब मैं क्या करूं और चित्कार कर बैठते हैं इसी चीत्कार के साथ उनकी नींद खुल जाती है और वह देखते हैं कि वह अपने महल में बिस्तर में लेटे हैं परंतु वह स्वप्न में देखी हुई घटना को लेकर बहुत परेशान हो जाते हैं. सोचते हैं सच क्या है? वह सच है जो मैंने सपने में देखा या यह सच है जो मैं अब देख रहा हूँ. जो जनक स्वप्न में था वह कौन था ?जो जनक यहां है महल में है वह कौन है? यह क्या गोरखधंधा है? ऐसा क्यों हुआ? क्या सच है ? यह सच है या वह सच था . बस लगातार यही बड़बड़ाते रहने लगे. नींद भूख गायब हो गई. हम सभी सपने देखते हैं परंतु हम जनक की तरह विचार नहीं करते हैं. जनक योगी पुरुष थे. जप, ध्यान. साधना करते थे. उनका यह सोचना स्वाभाविक रहा होगा. इसके बाद उनका किसी काम में मन नहीं लगता. वह गुमसुम रहने लगे. रानी परेशान हो गई, राज कर्मी परेशान हो गए. परंतु राजा गुमसुम. वह हर एक से यही प्रश्न करते हैं और इस प्रश्न के उत्तर के लिए उन्होंने एक अपनी राज सभा बुलाई जिसमें उन्होंने सब से यही प्रश्न किया पर कोई भी उत्तर नहीं दे पाया. राजा जनक ने अपने पूरे राज्य और आसपास जो भी उनकी जानकारी में सिद्ध महात्मा थे उनसे उनके बारे में जानकारी प्राप्त कर और जो जो भी पहुंचे महात्मा थे उन सब को आमंत्रित किया. राजा अपने स्वप्न का वृत्तांत सुनाकर पूछते हैं क्या सच है.जो स्वप्न में था वह सच था यो फिर यह क्या है? यह सच है तो वह जो स्वप्न में में था वह क्या था. इसका उत्तर कोई नहीं दे सका. तब वहां एक योगी उठते हैं जो अपने शरीर से आठ जगह से बेडौल होने के कारण हर जगह हास्य का पात्र बनते रहते थे. उन्होंने कहा कि राजन, जो तूने स्वप्न में देखा न वह सच था न यह सच है. न तेरा राज्य सच है न तेरे कर्मचारी सच हैं, न तेरा महल सच है, न तेरा परिवार सच है. फिर सच क्या है? ऋषि उत्तर देते हैं केवल सच तू है जो स्वप्न को देखने वाला था जो उस का साक्षी था और जो तू राज सभा में है और उसका साक्षी है. उस अपने को खोज उसको जान. ऋषि का उत्तर पाते ही राजा जनक का मन शांत हो गया और वह उनके चरणों में दंडवत होकर लेट गए और बोले भगवान मेरे अज्ञान को नष्ट कीजिए. मुझे इस स्वप्न जागृत और सुषुप्ति या जो तीनों को अनुभव करता है, उसके रहस्य को बताइए. यह बताएं मैं कौन हूं और यह सब जाग्रत स्वप्न सुषुप्ति क्यों होता है? तब उस सभा के बीच में में ऋषि अष्टावक्र राजा जनक को उपदेश देते हैं और यह उपदेश आपकी अपनी खोज है.
आप भी खोजें क्या सच है. आप जो स्वप्न में होते हैं वह सच है या जो जागने पर होते हैं वह सच है? गहरी नींद में क्या होता है? आप कौन हैं? कौन है जो इन तीनो का करता है? कौन है जो तीनों जगह एक सा होता है. जब गहरी नींद में मस्तिष्क भी सो जाता है तब वहां कौन होता है? यह मैं का भाव कहाँ से आता है? इनका कौन साक्षी है? इन अवस्थाओं को कौन अनुभव करता है? स्वयं अपनी प्रज्ञा को जगायें. सत्य को खुद जानें.
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ReplyDeleteमाया के शक्ति के कारण जीव अपनी असलियत को भूल गया है और माया के प्रपंच को ही सही समझने लगता है अध्यात्म के विद्यार्थी को मौलिक बात समझ लेना चाहिए कि श्रृष्टि से पहले तथा प्रलय पश्चात सिर्फ ब्रह्म बचते हैं यह जगत सभी जीव जन्तु ब्रह्म में विलीन हो जाते हैं पिछले अनेकों जन्म के प्रारब्ध फलस्वरूप जब ब्रह्म की अनुभूति होती है तो तत्काल माया का प्रपंच नष्ट हो जाता है। इसलिए सभी जीव ब्रह्म का अंश हैं माया के प्रभाव से हम नाम रुप काल को अलग अलग समझते हैं ।
Deleteकई जन्मों के प्रारब्ध वश जब ब्रह्म की अनुभूति होती है तो माया का प्रपंच कमजोर पड़ जाता है और ब्रह्म सत्य है बाकी माया का प्रपंच है समझ में आने लगता है। इसलिए सभी जीव जन्तु अकास वायु अग्नि जल और पृथ्वी ब्रह्म का ही विस्तार हैं।
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