1-जो अनुशासित है.
2-जो सावधान रहता है.
3-जो अकेला रहता है.
4-जो नियमित और संयमित भोजन करता है उसका भोजन सात्विक होता है न वह बहुत अधिक खाता है न वह बहुत कम खाता है.
5-वह न अधिक जागता है और न अधिक सोता है.
6-वह ज्यादा नहीं बोलता है. अक्सर चुप रहता है. दूसरे की चुगली नहीं करता. दूसरे की निंदा नहीं करता. कपट आचरण नहीं करता. किसी के साथ किसी के साथ छल नहीं करता.
7-अधिक परिश्रम नहीं करता है और आलस्य भी नहीं करता है.
8-जो बाहर और भीतर से शुद्ध है.
9- नियमित स्वाध्याय करता है.चिंतन मनन करता है.
10-नियमित ध्यान करता है. यहां यह जानना आवश्यक है ध्यान की अनेक विधियां हैं. ध्यान साकार भी होता है और निरंकारी भी होता है. ध्यान किसी ऑब्जेक्ट का हो सकता है, ध्यान मूर्ति का भी हो सकता है, ईश्वर की किसी भी रूप का ध्यान हो सकता है. विचार का हो सकता है, आनंद का हो सकता है, अस्मिता का हो सकता है और स्वयं का हो सकता है.
2-जो सावधान रहता है.
3-जो अकेला रहता है.
4-जो नियमित और संयमित भोजन करता है उसका भोजन सात्विक होता है न वह बहुत अधिक खाता है न वह बहुत कम खाता है.
5-वह न अधिक जागता है और न अधिक सोता है.
6-वह ज्यादा नहीं बोलता है. अक्सर चुप रहता है. दूसरे की चुगली नहीं करता. दूसरे की निंदा नहीं करता. कपट आचरण नहीं करता. किसी के साथ किसी के साथ छल नहीं करता.
7-अधिक परिश्रम नहीं करता है और आलस्य भी नहीं करता है.
8-जो बाहर और भीतर से शुद्ध है.
9- नियमित स्वाध्याय करता है.चिंतन मनन करता है.
10-नियमित ध्यान करता है. यहां यह जानना आवश्यक है ध्यान की अनेक विधियां हैं. ध्यान साकार भी होता है और निरंकारी भी होता है. ध्यान किसी ऑब्जेक्ट का हो सकता है, ध्यान मूर्ति का भी हो सकता है, ईश्वर की किसी भी रूप का ध्यान हो सकता है. विचार का हो सकता है, आनंद का हो सकता है, अस्मिता का हो सकता है और स्वयं का हो सकता है.
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