प्रश्न- मृत्यु क्या है?
उत्तर- ज्ञान के बीज रूप में अपने कारण ज्ञान में लय होने पर शरीर को धारण करने वाली क्रिया समाप्त हो जाती है और हमारे शरीर के अंग यहाँ तक की प्रत्येक cell निष्क्रिय होते जाते हैं
एक तत्व शरीर में तीन तरीके से कार्य करता है.
1-जन्म की तैयारी से लेकर जन्म.
2- स्थिति - धारण करने वाली क्रिया.
3- लय - मृत्यु की तैयारी से लेकर मृत्यु.
मृत्यु होते ही जन्म की तैयारी प्रारम्भ हो जाती है जैसे जन्म होते ही मृत्यु की तैयारी प्रारम्भ हो जाती है. स्थिति सीमा बद्ध है,काल बद्ध है.
प्रश्न- क्या म्रत्यु से पर विजय नहीं पायी जा सकती?
उत्तर- म्रत्यु पर विजय पायी जा सकती है और उसके लिए जन्म स्थिति और लय के कारण को खोजना और पाना होगा और वह एक मात्र कारण है ज्ञान. जब आप जन्म स्थिति और लय के दृष्टा हो जाएँ तब न जन्म है न संसार है न मृत्यु है.
प्रश्न- ज्ञान प्राप्त कैसे हो.
उत्तर- ज्ञान आपके अन्दर है. इसे जाग्रत करना है.\
प्रश्न- जाग्रत करने से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर- अपने अज्ञान की परतों को हटाते जाइये.
प्रश्न- अज्ञान कैसे हटेगा?
उत्तर- सब कुछ देखने का प्रयास करें. सब बातो के साक्षी हो जाएँ. चूंकि आप स्थिति में दिखाई देते हैं, आपके कार्य व्यवहार स्थिति में होते हैं इसलिए स्थिति के प्रत्येक व्यवहार को देखें. यदि देखने की आदत बन गयी तो जन्म की प्रक्रिया और जन्म भी दिखाई देगा और मृत्यु भी दिखाई देगी.
प्रश्न-मृत्यु के बाद क्या होता है.
आप का मैं बोध न टूटने वाली गहरी नींद में चले जाता है.
प्रश्न- फिर क्या होता है?
उत्तर- आप स्वप्नवत अवस्था में दुःख सुख भोगते हैं. यही स्वर्ग और नरक है.
प्रश्न- फिर क्या होता है?
उत्तर- आप के जाग्रत होने की तैयारी शुरू हो जाती है.
प्रश्न- उसके बाद क्या होता है?
उत्तर- आपका जन्म
प्रश्न- मनुष्य का अगले जन्म में किस शरीर को प्राप्त करता है?
उत्तर- मनुष्य का अगले जन्म में मनुष्य का शरीर प्राप्त करता है. क्योंकि यह ज्ञान के मैं की अनन्त जीवन यात्रा है.
प्रश्न- क्या बुरा से बुरा मनुष्य भी अगले जन्म में मनुष्य शरीर को प्राप्त करता है?
उत्तर -हाँ
प्रश्न- क्या तत्काल जन्म हो जाता है.
उत्तर- अगला जन्म तत्काल भी हो सकता है, दस पचास, हजार साल बाद भी हो सकता है अर्थात कभी भी हो सकता ही. यह ज्ञान के मैं बोध पर निर्भर करता है.
प्रश्न- पशु के विषय मैं आप क्या कहते है?
उत्तर- पशु लगातार विकास करते जाते हैं और फिर मानव देह में अल्प बुद्धि के साथ जन्म लेते हैं.
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