प्रश्न- एक साधक को अपनी स्थिति जानने की जिज्ञासा होती है क्या हम जान सकते हैं कि हमारे अन्दर देवत्व कितनी मात्रा में है? हमारे अन्दर कितनी दिव्यता है?
उत्तर- भगवद्गीता में श्री भगवान् द्वारा देवत्व के मापदंड बताये गए है जो सरल रूप से आपके अपने मूल्यांकन के लिए प्रस्तुत हैं. कोई भी मनुष्य अथवा साधक इनके आधार पर अपना मूल्यांकन कर सकता है. प्रत्येक मापदंड के 5 अंक हैं. इस प्रकार कुल अंक 140 हैं
यदि आपके 10 अंक आते हैं तो आप अच्छे मनुष्य हैं.
20 अंक प्राप्त होने पर यह समझ लें कि आप सही मार्ग में हैं जिसमें आपको निरंतर बड़ता जाना है.
1-भय का अभाव - यह देखिये कि आप में कितना भय है या आप अभय हैं.
2-शुद्ध बुद्धि - अपने स्वभाव का परीक्षण कीजिये और देखिये आपकी बुद्धि कितनी निर्मल है. इसी प्रकार अन्य मापदंडों के आधार पर अपना परीक्षण कीजिये.
3-ज्ञान योग से आत्मा में द्रढ़ स्थिति
4-निसंकोच भाव से दान करने वाले
5-इन्द्रियां पर नियंत्रण
6-स्वभाव में स्थित
7-सदा साक्षी भाव
8-शरीर और मन से सरलता
9- परमात्मा के निमित्त कर्म करना,
10-निरन्तर शास्त्र वचनों का चिन्तन मनन करना,
11-सत्य अर्थात जिसके संशय और अज्ञान नष्ट हो गए हों और ज्ञान की प्राप्ति हो गयी है.
12-अहिंसा- मन वाणी कर्म से किसी को दुख नहीं देना
13-क्रोध का न होना
14-त्याग- अहं बुद्धि का त्याग, देह भावना का त्याग
15-किसी की निन्दा न करना
16-शान्ति
17-अनासक्ति
18-दूसरों की सेवा में बिना प्रत्युपकार के लगे हुए
19-अपने गुणों की चर्चा होने पर लजा जाना
20-सभी प्राणियों पर दया,
21-कोमल हृदय -मन का दीन होना
22-व्यर्थ चेष्टा का अभाव
23-तेज - आत्मा की ओर मन की गति से जो भाव उत्पन्न होता है वह तेज है,
24-क्षमा -अपने प्रति अपराध करने वाले को भी अहंकार हुए बिना अभय देना
25-अद्रोह- जो किसी भी प्राणी से शत्रु भाव न रखे
26-धृति -भौतिक कष्ट आने पर भी धैर्य धारण करना,
27-शौच - बाहर भीतर से शुद्ध हो
28-अभिमान का न होना -अपनी पूज्यता से जिनमें संकोच होता है;
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