प्रश्न - व्यवहारिक सत्ता क्या है?
उत्तर- संसार
प्रश्न - यथार्थ सत्ता क्या है?
उत्तर- आप (आपका शुद्ध पूर्ण स्वरुप)
यथार्थ सत्ता एक स्वरूपा है पर व्यवहारिक सत्ता के कारण यथार्थ सत्ता अलग अलग दिखाई देती है.
प्रश्न -कृपया इसे सुस्पष्ट करें?
उत्तर- आप हैं तो आपका शरीर है. आपके सम्बन्ध हैं, आपकी आसक्ति है, धन सम्प्दा, पद प्रतिष्ठा है, मान अपमान है. संसार है आप इन सब को अपने से अलग कर दीजये तो आप स्वयं जान जायंगे की यह सब कुछ नहीं था. इसलिए आप यथार्थ हैं और संसार व्यवहार.
प्रश्न - दुःख का क्या कारण है?
उत्तर- आसक्ति
प्रश्न- सुख का क्या कारण है?
उत्तर- आसक्ति
प्रश्न- शत्रुता का का क्या कारण है?
उत्तर- आसक्ति
प्रश्न- मित्रता का क्या कारण है?
उत्तर- आसक्ति
प्रश्न- जन्म का क्या कारण है?
उत्तर- आसक्ति. इस संसार में राग और द्वेष की पूर्ती के लिए बार बार जन्म होता है.
प्रश्न- मृत्यु का क्या कारण है?
उत्तर- आसक्ति. देह आसक्ति के कारण हम समझते हैं कि हम मर रहे हैं. देह आसक्ति के कारण अविनाशी जीव को मृत्यु होने का भय होता है. देह आसक्ति के कारण जीव को मृत्यु दिखाई देती है जो देह आसक्ति से छूट गया है वह देह बंधन से मुक्त हो जाता है. उसका मृत्यु का कारण समाप्त हो जाता है.
इसी प्रकार स्वजन से आसक्ति के कारण के कारण उनकी मृत्यु का दुःख होता है.
प्रश्न- भय का क्या कारण है?
उत्तर- आसक्ति
प्रश्न-संकल्प विकल्प का क्या कारण है?
उत्तर- आसक्ति
प्रश्न- अपने को न जानने का क्या कारण है?
उत्तर- आसक्ति
प्रश्न- विकारों का क्या कारण है?
उत्तर- आसक्ति
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