प्रश्न-आत्म बोध का सरलतम उपाय क्या है?
उत्तर- परमात्मा की आवाज को सुनना आत्म बोध का सरलतम उपाय है. आप जितना परमात्मा की आवाज सुनेंगे उतना आत्म बोध बड़ता जाएगा. निरंतर उसकी आवाज को जब आप सुनने लगंगे तो सहज समाधि और बोध प्राप्त होगा.
इससे सरल दूसरा कोइ उपाय नहीं है. इसमें न समय का बंधन है न शुद्धि का, न तथाकथित धर्म का बंधन है न सम्प्रदाय का. न व्रत, उपवास बंधन है, न आसन प्राणायाम का बंधन है. कहने का अर्थ है कोई बंधन नहीं है. अपने बाथरूम, प्रसाधन, शयन, ऑफिस, बाहर, भीतर, पूजा गृह, मंदिर, मस्जिद. गिरजाघर. नदी, तालाब, रेगिस्तान, पहाड़, मैदान कहीं भी सुनते रहें.
परमात्मा की आवाज का उदाहरण बसंत नाम के व्यक्ति से परमात्मा की बातचीत के अंश से समझिये.
बसंत चाय पी रहे हो. बसंत खान खा रहे हो.बसंत पानी पी रहे हो. बसंत चल रहे हो. बसंत देख रहे हो. बसंत सुन रहे हो. बसंत गुस्सा कर रहे हो. बसंत मेरी पूजा कर रहे हो. बसंत लिख रहे हो. बसंत किताब खरीद रहे हो. बसंत स्वास ले रहे हो. बसंत नहा रहे हो. बसंत कुर्सी में बैठे हो. बसंत मेरा ध्यान कर रहे हो. बसंत अस्वस्थ हो. बसंत स्वस्थ हो. बसंत यात्रा कर रहे हो. बसंत मुझे याद कर रहे हो. बसंत नीद आ रही है. बसंत सो जाओ. बसंत उठो. बसंत टीवी देख रहे हो. बसंत कहाँ खो गए आदि. जीवन के प्रत्येक अच्छे बुरे क्षणों में परमात्मा की आवाज सुनें. वह प्रति पल आपको देख रहा है. प्रति पल आपसे बात कर रहा है.
यही परमात्मा की आवाज सार शब्द है.
"सार शब्द जाने बिना कागा हंस न होय."- कबीर
कोवा अज्ञान और जीव का प्रतीक है, हंस ज्ञान का. इसलिए हंस वही हो सकता है जिसे महसूस होने लगे की उसके अन्दर बैठकर परमात्मा उसे सुमिरन करने लगे हैं.
यही उलटा नाम है. इसलिए बाल्मीकि जी के लिए कहा जाता है-
उलटा नाम जपत जग जाना बाल्मीकि भये ब्रह्म समाना.
मरा मरा की तो कहानी बना दी लोगों ने.
तभी कबीर कहते हैं-
जब ते उलटि भए हैं राम
दुःख विन्से सुख कियो विश्राम.....
उलटि भी सुख सहज समाधी
आपु पछानै आपै आप
अब मनु उलटि सनातन हुआ.....
यदि तुम अपनी आत्मा की आवाज सुनते हो तो वही तुम्हारा परम गुरु है.
श्री भगवान भगवद्गीता में कहते हैं -
उपदृष्टानुमन्ता च 22-13.
No comments:
Post a Comment