Monday, December 24, 2012

तेरी गीता मेरी गीता - ६- बसंत प्रभात



प्रश्न- काम,क्रोध और लोभ के विषय में आप का क्या अभिमत है.
उत्तर- प्रत्येक प्राणी में काम,क्रोध और लोभ कम अथवा अधिक मात्र में सदा रहता है. कोइ भी जीव इनसे मुक्त नहीं है.पूर्णत्व प्राप्त होने पर ही  काम,क्रोध और लोभ  समाप्त होते हैं. इन्द्रियों से हठ पूर्वक काम,क्रोध और लोभ को रोकनेवाला मिथ्याचारी है.
प्रश्न- फिर  साधना  केसे  होगी क्योंकि काम,क्रोध और लोभ आत्मतत्त्व अथवा ईश साधन में बाधक हैं.
उत्तर- कामी के काम की तरह आत्मा की कामना करो अर्थात कामी जिस प्रकार रात दिन स्त्री का चिंतन करता है उसी प्रकार  आत्मा का चिंतन करो. लोभी के लोभ की तरह परमात्मा का लोभ करो क्योंकि परमात्मा  से बड़ा धन और कुछ नहीं है. परमतत्त्व  के लिए चोर की वृत्ति अपनाओ. क्रोध में जिस प्रकार मनुष्य अंधा हो जाता है अपना विवेक खो देता है उसे केवल अपना दुश्मन दिखाई देता है उसी प्रकार  क्रोधी की तरह परमात्मा को देखो, परमात्मा का चिंतन करो. क्रोधी जिस प्रकार अपना विवेक खो देता है उसी प्रकार अपने परिवार, समाज रुपी संसार को खो डालो. मूल बात यह है की आपको केवल काम, क्रोध, लोभ की धारा बदलनी है.

Saturday, December 22, 2012

तेरी गीता मेरी गीता - 5 - बसंत प्रभात




प्रश्न- आत्म ज्ञान कैसे पाया जा सकता है?
आत्म ज्ञान  सतत साधना का अंतिम परिणाम है. यह विकास की अनन्तिम अवस्था है. बुद्धि को सतत निश्चयात्मक करते हुए सूक्ष्म और सूक्षम्तर करना है. इसके लिए अपनी अपनी प्रकृति के अनुसार साधना अपनाई जा सकती हैं. एक साधना जो किसी के लिए सरल और रुचिकर है वह दूसरे के लिए कठिन और अरुचिकर हो सकती है.
प्रश्न- फिर भी कोई सरल उपाय बतायें.
१-श्वास में ॐ का जप करना सरल और लाभ प्रद है. श्वास लेते और श्वास छोड़ते हुए ॐ का जप करें.
२- साक्षी होने का प्रयास करें. जो हो रहा है जो कर रहें हैं उसे देखने का प्रयास करें.

BHAGAVAD-GITA FOR KIDS

    Bhagavad Gita   1.    The Bhagavad Gita is an ancient Hindu scripture that is over 5,000 years old. 2.    It is a dialogue between Lord ...