Saturday, January 26, 2013

तेरी गीता मेरी गीता -15 - बसंत



प्रश्न  - कृपया आत्मा को अत्यंत संक्षेप एक वाक्य में बताएं.
उत्तर- पूर्ण विशुद्ध ज्ञान पुंज आपकी अस्मिता ही आत्मा है.
प्रश्न - जीवात्मा क्या है?
उत्तर- ज्ञान और अज्ञान का पुंज जीवात्मा है .
प्रश्न - परमात्मा क्या है ?
उत्तर - आत्मा का विराट स्वरुप परमात्मा है.
प्रश्न - दिव्यता केसे आती है.
उत्तर -ज्ञान की वृद्धि और अज्ञान के नष्ट होने से दिव्यता बड्ती जाती है.
प्रश्न - आत्मा अथवा परमात्मा को पाने का केवल एक सरल और शीघ्र फल दायक उपाय.
उत्तर - आप दृष्टा हो जाएँ,
प्रश्न - दृष्टा होकर क्या करना होगा?
उत्तर - जीवन के प्रत्येक कार्य को साक्षी भाव से देखें.
प्रश्न - चेतना क्या है?
उत्तर .चेतना एक विकृति है.
प्रश्न -विकृति क्या होती है?
उत्तर- जो प्रकृति में उत्पन्न होत्ती है.
प्रश्न - क्या हमारी चेतना  हमारी असलियत नहीं है.
उत्तर- नहीं. तुम ज्ञान पुंज हो अतः शुद्ध चैतन्य हो. यह चैतन्य  जब  शरीर को स्वीकार करता है तब चेतना का जन्म होता है. चैतन्य की उपस्थिति से ही अनुकूल परिस्थिति में चेतना उत्पन्न होती है.



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