Thursday, January 10, 2013

तेरी गीता मेरी गीता - 7 - बसंत



प्रश्न - क्या ज्ञान सर्वोत्तम है?
उत्तर - हाँ ज्ञान सर्वोत्तम है, परम पवित्र है. पवित्र को भी पवित्र करने वाला है. सबसे बड़ा है, सर्व श्रेष्ठ है.
प्रश्न - क्या ज्ञान परमात्मा से भी बड़ा है?
उत्तर - परम पूर्ण विशुद्ध ज्ञान ही परमात्मा है. हिन्दू दर्शन परमात्मा  को न मानने वाले को नास्तिक नहीं मानता है वह कहता है,  'वेद निंदक नास्तिकः'. यहाँ वेद का अर्थ चार वेदों से नहीं है. वेद का अर्थ है ज्ञान. वेद का अर्थ है जानना. जिस ज्ञान के द्वारा परम सत्य को जाना जाया वह ज्ञान है उसे ही वेद कहा है.
आप स्वयं चिंतन करें की ब्रह्म बड़ा है या वह जिसके द्वारा ब्रह्म को जाना जाता है. श्री भगवान् भग्वदगीता के चोथे अध्याय में कहते हैं
न हि ज्ञानेन सद्रिशम पवित्रं इह विद्यते.
ज्ञान स्वयं परमात्मा का स्वरुप है.
प्रश्न - हम जो सीखते हैं पड़ते हैं वह क्या है?
उत्तर - ज्ञान अज्ञान का मिला जुला रूप है जो निरंतर व परिस्थिति वश बदलने वाला है.जिसमें अज्ञान की मात्र अधिक अथवा बहुत अधिक होती है.ज्ञान का आभास मात्र होता है. अज्ञान के कारण सदा संशय बना रहता है.

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