Tuesday, April 2, 2013

तेरी गीता मेरी गीता -54- सबद ( शब्द ) - ईश्वर की आवाज एक कप चाय के साथ - बसंत



आपने ईश्वर से जुड़ने की कई तरीके पड़े और सीखे होंगे. आज आपको एक सरल तरीके से परिचित कराने का प्रयास है जो बिना किसी परेशानी के आप कर सकते है. अपनी रोजमर्रा की जिन्दगी के हिस्सों में उस परमात्माको महसूस करें. आइये चाय पीते हुए उसकी आवाज सुनें.
आप रोज सुबह चाय पीते हैं. एक गरम चाय का कप 10मिनट में खतम करते है. प्रतिदिन उस कप के साथ ईश्वर की वाणी सुनें. यदि चाय नहीं पीते हैं तो काफी, दूध ,लस्सी आदि जो भी आप पीते हों उसे पीते हुए ईश्वर की वाणी सुनें. बस पूरे 10 मिनट पूरी तन्मयता से सुनें.एक कप चाय को पीते हुए बसंत नामक व्यक्ति से ईश्वर की वाणी के कुछ अंश.  
बसंत चाय आ गयी है. तुम्हरे अन्दर विचार आ गया है कि चाय बहुत गरम है, थोड़ा इंतज़ार कर लिया जाय. चाय की तेज इच्छा हो रही है ना. बसंत तुमने कप उठा लिया है. तुम्हारा हाथ चाय के कप को तुम्हारे होंठों तक ले आया है. तुमने चाय  की एक सिप ले ली. चाय गले से नीचे जा रही है. बसंत तुम्हें चाय का मजा आ रहा है. लो तुमने दूसरी सिप भी ले ली. किस सोच में पड़ गए, अच्छा अखबार की तलब हो रही है. तुम तो अखबार की और देखने लगे. तुम चाय के कप को टेबल मे रख रहे हो. अरे तुमने फिर कप उठा लिया और एक बड़ा सिप लिया. तुम्हारे शरीरकी जकड़न कम हो रही है. तूने चाय का कप फिर से टेबल मे रख दिया है. तुम अखबार पड़ने लग गए हो. अरे खबरों में खो गए........ देखो तुम्हारी चाय ठंडी हो रही है. तुम्हारा हाथ चाय का कप उठा रहा है. चाय  का कप तुम्हारे होंठों से लग गया. तुम  तो बड़े बड़े सिप मारने लगे. पेट में गुड़बुड होने लगी है. तुम तो बाथरूम की ओर जाने लगे.
इस ईश्वर की आवाज को हू बहू प्रस्तुत करना संभव नहीं है फिर भी आपके समझने के लिए आवाज के कुछ अंश प्रस्तुत करने का प्रयास किया है.
यह जान लीजिये वह हर समय आपको देख रहा है. वह आपकी हर एक क्रिया और सोच को देख रहा है. बस रोज के दस मिनट  चाय पीते हुए इस सरल योग को सिद्ध करें. उससे जुड़ जायें. ईश्वर की वाणी जो भी आपके अन्दर उतर रही है उसे सुनें. उधार के शब्दों का यहाँ कोई काम नहीं है. आप सरलता से दृष्टा होने लगेंगे.

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