Tuesday, March 5, 2013

तेरी गीता मेरी गीता -28- बसंत


प्रश्न-बड़े बड़े ज्ञानी ,मुनि, विद्वान कहते हैं ॐ का जाप करो. लोग ॐ का जाप करते भी है पर न मन लगता है न उनको कुछ परिणाम दिखाई देता है और मन खराब हो जाता है या कहें बैचेन बना रहता है. क्यों?

उत्तर-ॐ शब्द के विषय में बड़े बड़े ज्ञानी ,मुनि, विद्वान भ्रमित हैं और सब कहते हैं ॐ का जाप करो, ॐ का जाप करो. लोग ॐ का जाप करते भी है पर न मन लगता है न उनको कुछ परिणाम दिखाई देता है और मन खराब हो जाता है.
तो आज ॐ के विषय में चर्चा करेगे. एक सरिता नाम की स्त्री और शेखर नाम का पुरुष एक दूसरे से अत्यधिक प्यार करते हैं. अब आप विचार करें की वह दोनों एक दूसरे का नाम कैसे लेते हैं. कैसे एक दूसरे का चिंतन करते हैं.
इसी प्रकार दो घनिष्ठ मित्र कैसे दूसरे का नाम कैसे लेते हैं.
माता किस प्रकार अपने पुत्र को बुलाती है.
बस इसी प्रकार परमात्मा को बुलाना है. उसका चिंतन करना है. ॐ सत का नाम है. उसे व्यवहार में चिंतन करना है.
श्री भगवान भगवद गीता में कहते हैं - ओम ही ब्रह्म है और इसे व्यवहार में स्वीकारते हुए सदा परमात्मा का चिंतन करना चाहिए. यहाँ व्यवहार शब्द महत्वपूर्ण है.
परन्तु सब ज्ञानी, ध्यानी, मुनि, विद्वान् केवल कहते हैं ॐ का जाप करो. कोई यह नहीं कहता उसे उसी प्रकार पुकारो, उसका चिन्तन करो जिस प्रकार दो प्रेमी एक दूसरे का चिंतन करते हैं पुकारते हैं. ॐ तो उसकी विशेषताओं के कारण उसका नाम है जो संबोधन के लिए है. अब आप बिना रूचि के किसी का नाम लेंगे या बेमन से किसी को पुकारेंगे तो क्या होगा यह आप जानते हैं.

आप उसे या तो  बैचेनी से पुकारते  हैं या भय से पुकारते  हैं या किसी लालच से और वह आपके भय बैचेनी और लालच की पूर्ती करता है. यदि प्रेम से पुकारंगे तो प्रेम मिलेगा. आनंद से पुकारंगे तो आनद मिलेगा और ज्ञान से पुकारंगे तो ज्ञान मिलेगा.


प्रश्न- बुद्धि पर नियंत्रण कैसे होगा?

उत्तर- बुद्धि के खेल देखो. दृष्टा होने से धीरे धीरे बुद्धि पर नियंत्रण हो जाएगा.

प्रश्न- क्या और भी उपाय हैं?

उत्तर- हाँ, सत्व गुण में रहने की आदत डालनी होगी. सत्व गुण से बुद्धि निर्मल होती जायेगी. कालान्तर में साक्षी ही होना होगा.

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