Friday, March 29, 2013

तेरी गीता मेरी गीता - 51- बसंत



प्रश्न - कुछ आर्य सत्य बताने का कष्ट करें.

उत्तर-1- यह संसार ईश्वर से परिपूर्ण है. सभी जड़ चेतन में विशुद्ध पूर्ण ज्ञान बीज रूप में स्थित है.
2- यह संसार तब तक सत्य है जब तक संसार के कारण का ज्ञान नहीं हो जाता.
3-ज्ञान का अर्थ बुद्धि ज्ञान से नहीं  है, इसका अर्थ है संसार के कारण हो जाना.
4- बुद्धि से जिसे आत्मा का ज्ञान है वह आत्म चिन्तक है.
5- जो आत्मा को अपने अन्दर मसूस करता है वह मुनि कहलाता है. भगवान् महावीर के वचन हैं- असुत्तो मुनि. जो जागा हुआ है वह मुनि है. आजकल आत्म चिन्तक और मुनि भी नगण्य संख्या में ही हैं. इन्हीं में से कुछ ने अपने को आत्मज्ञानी कुछ ने अपने को भगवान घोषित कर लिया है.
6- आत्मज्ञानी वह है जिसने अपने कारण को अपने वश में कर लिया है. जो अपना कारण हो गया है.
7- भगवान वह है जो सबके कारण का भी कारण है.
8- भगवान तुम्हरे अन्दर हैं वह कण कण में हैं पर न तुम भगवान हो न वह कण भगवान है. तुम जब अपने और उस कण के कारण हो जाओगे तब भगवान कहलाओगे.
9- आत्मज्ञानी होने के लिए पहले मुनि होना पडेगा.
10- भगवान बनने के लिए पहले आत्मज्ञानी होना होगा.
11- जो कहता है वह सच्चा, उसका ज्ञान सच्चा, उसका गुरु सच्चा, उसका नाम सच्चा  तो समझो वह  अच्छा आत्म चिन्तक भी नहीं है.
12- जो कहता है तू सच्चा तेरा नाम सच्चा उसका आत्म चिंतन सही दिशा में है.
13- नाम में क्या रखा है यह तो तुम्हारे दिए नाम हैं. रखा इसमें है की तुमने क्या पाया है. ईश्वर के सब नाम अच्छे हैं, बुरी है तुम्हारी सोच.
१४- यह महत्वपूर्ण नहीं की तुम ईश्वर का चिंतन करते हो, महत्वपूर्ण यह है की ईश्वर तुम्हारा चिंतन करें.

प्रश्न- कुछ दिशा निर्देश दें

उत्तर - 1- मन से दीन हो जाओ..
2- अपने सुख और दुःख, मान और अपमान के लिए तुम स्वयं जिम्मेदार हो.
3- अपने कर्मों के साक्षी हो जाओ अपने दृष्टा हो जाओ.
4- जो तुमसे गल्तियाँ हुई हैं उनके लिय मन ही मन उस व्यक्ति की आत्मा से क्षमा मांगो. अपनी आत्मा  से क्षमा मांगो.
5- दूसरे ने जो बुराई तुम्हारे साथ की है उसके लिए भी अपने कर्मों को दोषी मान ईश्वर से क्षमा मांगो.
६- ईश्वर की ओर से तुम्हारा सुमिरन हो रहा है उसे सुनो.

2 comments:

  1. ये कैसे संभव है कि ईश्वर हमारा चिंतन करे

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  2. ईश्वर के द्वारा हमारा सुमिरन - -
    तुम्हारे अन्दर बैठा ईश्वर तुम्हारे प्रत्येक कार्य में तुमसे बात करने लगता है जैसे
    बसंत नाम के व्यक्ति से परमात्मा की बातचीत के अंश-
    बसंत चाय पी रहे हो. बसंत खान खा रहे हो. बसंत चल रहे हो.बसंत देख रहे हो. बसंत सुन रहे हो. बसंत गुस्सा कर रहे हो. बसंत मेरी पूजा कर रहे हो. बसंत लिख रहे हो. बसंत स्वास ले रहे हो. बसंत मेरा ध्यान कर रहे हो. बसंत अस्वस्थ हो. बसंत स्वस्थ हो. बसंत यात्रा कर रहे हो. बसंत मुझे याद कर रहे हो. बसंत नीद आ रही है. बसंत सो जाओ. बसंत उठो. बसंत टीवी देख रहे हो. बसंत कहाँ खो गए आदि.

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