Wednesday, March 20, 2013

तेरी गीता मेरी गीता - 39 - बसंत



प्रश्न- अजपा क्या है?

उत्तर- स्वाभाविक रूप से प्रत्येक स्वास में परमात्मा का चिंतन. उसके नाम का चिंतन. ॐ का चिंतन. सोऽहं का चिंतन. तत अर्थात तू ही है का चिंतन. सत का चिंतन अर्थात जो यथार्थ सत्ता है उस आत्म स्वरुप परमात्मा में रमण. इन सब में अपनी श्रृद्धा और प्रकृति अनुसार व्यक्ति अजपा करता है.
यह साधना की ऊँची अवस्था है.

प्रश्न - अनहद नाद के विषय में आप का क्या अभिमत है

उत्तर- यह साधना की अत्याधिक श्रेष्ठ अवस्था है  यहाँ साधक ईश्वर को सुनता है, वह महसूस करता है कि ईश्वर उसे बता रहा है पर यह भी पूर्णता नहीं है. यह ही वास्तविक गुरु बोध है.

प्रश्न- शून्यावस्था क्या है.

उत्तर- चित्त का लोप हो जाना शून्यावस्था है पर यह भी पूर्णता नहीं है.

प्रश्न-अंतिम अवस्था क्या है

उत्तर- यथार्थ ज्ञान कि मैं ही शुद्ध बुद्ध पूर्ण ज्ञान हूँ.

प्रश्न- फिर अव्यक्त अवस्था क्या है?

उत्तर- सब कुछ विशुद्ध पूर्ण ज्ञान है.





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