Friday, March 22, 2013

तेरी गीता मेरी गीता- 42 - बसंत



प्रश्न- क्या कोई एक उपाय है जिससे  दुखों का अंत हो जाय?
उत्तर- आसक्ति को त्याग दो.

प्रश्न- आसक्ति को त्यागने का एक सरल और सर्वोत्तम उपाय?
उत्तर- अपने प्रत्येक कर्म के दृष्टा हो जाओ.

प्रश्न- दृष्टा होने का कोई एक उपाय?
उत्तर- संसार के समस्त कर्मों को करो साथ ही साथ उन कर्मों को होते हुए देखो. केवल प्रक्रिया देखनी है.
तुम भोजन कर रहे हो देखो भोजन किस प्रकार तुम कर रहे हो, कैसे वह भोजन तुम्हारे मुंह से अन्दर जा रहा है. तुम स्वास ले रहे हो उस स्वास को आते जाते देखो. तुम ईश्वर का नाम ले रहे हो, उस लेने की प्रक्रिया को देखो  हर्ष है तो उसे देखो कष्ट है तो उसे देखो.
स्वास को आते जाते देखना सरल उपाय है.


प्रश्न- कोई अन्य व्यवहारिक उपाय.
उत्तर- ॐ अथवा सूक्ष्म एक दो अक्षर के शब्द के माध्यम से परमात्मा से व्यवहार करें.


प्रश्न- आसक्ति नाश से क्या होगा?
उत्तर- आसक्ति के कारण आप जो भिन्न भन्न भागों में बाँट गए है वह विभक्त व्यक्तित्व समाप्त हो जाएगा और आपका वासतविक स्वरुप प्रगट होगा. इसे स्वरुप स्थिति कहते हैं

प्रश्न- इस स्वरुप स्थिति से क्या होगा?
उत्तर- आपको अपनी वास्तविकता का, यथार्थ स्वरुप का बोध हो जाएगा. आप जड़ चेतन के नियंता हो जायेंगे. आप में देवीय शक्तियाँ स्वाभाविक रूप से निवास करेंगी.

प्रश्न- यदि थोड़ी आसक्ति रह गयी तब क्या होगा?
उत्तर- तब क्षीण आसक्ति के अनुपात में दिव्यता प्राप्त होगी.


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